जिदान के सींग
अरे भाई मै फ्रांस के खिलाडी जिनेदिन जिदान साहब के विश्व-कप के फायनल के दौरान किये गये पागलपन की बात कर रहा हूँ। बिल्कुल मरकही गाय या भैंस की तरह ही उन्होने इटली के खिलाडी मेटरज्जी के पेट में सर घुसा दिया। अरे हाथों का प्रयोग भी कर सकते थे, पर वे फुटबाल के मैदान में थे तो हाथ का प्रयोग करना फाउल हुआ ना। मुझे लगता है फुटबाल खेलते खेलते जिदान साहब ने सर को इतना मजबूत कर लिया है कि वो हर संभावना पर उससे ही मार करते हैं या फिर दिमाग में यह बैठा लिया है कि हाथों का प्रयोग नही करना है, या फिर पिछले जन्म में कोई सांड, बैल या भैंसे रहें हों जिसकी छाप उनकी अंतरात्मा पर गहरी हो। बाद में पढा कि पहले भी कई एक बार जनाब ऐसा कारनामा कर चुके हैं। बहरहाल इस सर की मार के बारे में पूछना हो तो किसी ब्राजीलियन से पूछियेगा, १९९८ के विश्व-कप में फ्रांस में ही हुए फायनल मैच में उन्होने इसी सर से दो हेडर कर फ्रांस को विश्व विजेता बना दिया था, और बेचारा ब्राजील धूलधूसरित होकर रह गया था।
एक बात जिससे मं बिल्कुल भी सहमत नही था, वो यह कि जिदान के बाहर होने से ही इटली मैच जीत गया। अरे माना कि जिदान एक पैनाल्टी किक या फ्री किक ले लेते मगर बाकी नौ खिलाडी भी शामिल होते हैं फ्री किक में। ये भी हो सकता था कि जिदान ही बाहर मार देते अपनी फ्री किक। फ्रांस के राष्ट्रपति शिराक को गुस्सा आया और उन्होने कहा ये लॉटरी के समान है, है शिराक साहब बिल्कुल है, मगर हमेशा हारने वाली टीम को ऐसा क्यों लगता है। याद करें स्विटज़रलैण्ड के एक खिलाडी ने यूक्रेन से पैनाल्टी शूट में हारने के बाद कहा था "ये सबसे ज्यादा अन्यायपूर्ण खेल है"।
पूरी दुनिया के पत्रकार अब इसकी जॉच पडताल में लग गये कि आखिर ऐसा क्या था कि जिदान साहब इस कदर बौखला गये। किसी ने कहा उन्हे आतंकवादी कहा गया, किसी ने उनकी मॉ को गाली दिया जाना बताया तो किसी ने लिप रीडिंग के बाद कहा बहन को गाली दी जाने पर इतना भडक गये। जिदान तो कुछ नही बोले मगर मेटरज्जी ने बताया कि मैने कुछ अपमानजनक टिप्पणी की थी। जिदान साहब अल्जीरियाई मूल के मुस्लिम हैं, तो किसी ने अंदाजा लगाया कि उनकी नस्ल पर कुछ कहा गया। मै तो कहता हूँ अगर इनमें से एक बात भी सही है और उन्हे आतंकवादी, मॉ, बहन या नस्ल से संबंधित कुछ कहा गया तो मेटरज्जी को और भी ज्यादा पीटना चाहिये था, लेकिन मैदान के बाहर आकर।
वैसे तो हर विश्व-कप में थोडा बहुत विवाद होते रहे हैं, चाहे वो रिवाल्डो का मैदान में "एक्टिंग" करके विरोधी खिलाडी को लाल पत्रक दिलवाना हो, यो बेचारे १९८६ विश्व-कप के सबसे अच्छे खिलाडी मेराडोना को पूरी तरह घेर कर, कई बार पटक कर १९९० के विश्व-कप में अपंग जैसा कर देना हो। इसी विश्व-कप में कुछ मैच देखते हुए मुझे लगा कि जैसे मै युद्ध होता हुआ देख रहा हूँ। इटली और यू एस ए का मैच इसका एक उदाहरण था, जिसमें तीन खिलाडियों को लाल पत्रक (रेड कार्ड) से सम्मानित किया गया। मैदान में एक खिलाडी की आंख के पास से झर झर बहता हुआ खून भी दृष्टिगोचर हुआ और कुछ हाथापाई भी। वहीं दूसरी ओर पुर्तगाल और नीदरलैण्ड का मैच इस हाथापाई की पराकाष्ठा था, जहॉ चार खिलाडियों को लाल पत्रक सम्मान प्राप्त करने का गौरव हासिल हुआ। एक अकेले इस मैच में सत्रह पीत पत्रक (येलो कार्ड) दिये गये। पुर्तगाल की टीम तो पूरे टूर्नामेण्ट में २५ पीत पत्रक (येलो कार्ड) प्राप्त कर एक अनूठे सम्मान की हकदार बनी। उनके कृत्य की महानता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दूसरे स्थान पर आई टीम उनसे बहुत बहुत पीछे रही।
कभी कभी मुझे लगता है, इन सब खिलाडियों को फुटबाल के साथ साथ "एक्टिंग" की ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे एक पल पहले दर्द से तडपता सा खिलाडी विपक्षी खेमे को पत्रक मिलते ही, या रेफरी के "कुछ नही" कहते ही तुरंत फुरत उछल कर खडा हो जाता है। आपको याद होगा मैदान पर मृतप्राय पडे मेटरज्जी रेफरी द्वारा जिदान को लाल पत्रक दिखाये जाते ही कैसे उछल कर खडे हो गये थे, और हों भी क्यों ना, उद्देश्यप्राप्ति जो हो गई थी। मुझे विश्वास है भारतीय खेल मंत्रालय बहुतेरे सरकारी मंत्रालयों की तरह सोया नही पडा है और यह बात बराबर उसके ध्यान में है कि भारतीय टीम को भी अगले विश्व-कप के क्वालीफायर मैचों के पहले किसी ऐसे भारतीय अभिनेता से प्रशिक्षण दिलाना होगा, जिन्होने फिल्मों में मरने के सर्वाधिक दृश्य किये हों, अरे भाई प्रशिक्षण भी तो दर्द से तडपने का या मृतसमान पडे रहने का देना होगा ना। अब मुझे तो किसी अभिनेता का नाम याद नही आ रहा, अमरीश पुरी तो रहे नही, आप ही बताइये ऐसे किसी अभिनेता का नाम। वैसे अभिनेता न मिले तो नेता से भी काम चल जायेगा। "एक्टिंग" का ककहरा तो वो भी पढा ही देगा।
पुनश्चः और अंग्रेजी वाले बोलते हैं जिदान ने "हेड बट्ट" कर दिया, मेरी तो समझ से बाहर की बात है, अगर हेड किया तो बट कैसे किया, अगर बट किया हेड कैसे किया, खैर आपको समझे तो बताना भाई।
एक बात जिससे मं बिल्कुल भी सहमत नही था, वो यह कि जिदान के बाहर होने से ही इटली मैच जीत गया। अरे माना कि जिदान एक पैनाल्टी किक या फ्री किक ले लेते मगर बाकी नौ खिलाडी भी शामिल होते हैं फ्री किक में। ये भी हो सकता था कि जिदान ही बाहर मार देते अपनी फ्री किक। फ्रांस के राष्ट्रपति शिराक को गुस्सा आया और उन्होने कहा ये लॉटरी के समान है, है शिराक साहब बिल्कुल है, मगर हमेशा हारने वाली टीम को ऐसा क्यों लगता है। याद करें स्विटज़रलैण्ड के एक खिलाडी ने यूक्रेन से पैनाल्टी शूट में हारने के बाद कहा था "ये सबसे ज्यादा अन्यायपूर्ण खेल है"।
पूरी दुनिया के पत्रकार अब इसकी जॉच पडताल में लग गये कि आखिर ऐसा क्या था कि जिदान साहब इस कदर बौखला गये। किसी ने कहा उन्हे आतंकवादी कहा गया, किसी ने उनकी मॉ को गाली दिया जाना बताया तो किसी ने लिप रीडिंग के बाद कहा बहन को गाली दी जाने पर इतना भडक गये। जिदान तो कुछ नही बोले मगर मेटरज्जी ने बताया कि मैने कुछ अपमानजनक टिप्पणी की थी। जिदान साहब अल्जीरियाई मूल के मुस्लिम हैं, तो किसी ने अंदाजा लगाया कि उनकी नस्ल पर कुछ कहा गया। मै तो कहता हूँ अगर इनमें से एक बात भी सही है और उन्हे आतंकवादी, मॉ, बहन या नस्ल से संबंधित कुछ कहा गया तो मेटरज्जी को और भी ज्यादा पीटना चाहिये था, लेकिन मैदान के बाहर आकर।
वैसे तो हर विश्व-कप में थोडा बहुत विवाद होते रहे हैं, चाहे वो रिवाल्डो का मैदान में "एक्टिंग" करके विरोधी खिलाडी को लाल पत्रक दिलवाना हो, यो बेचारे १९८६ विश्व-कप के सबसे अच्छे खिलाडी मेराडोना को पूरी तरह घेर कर, कई बार पटक कर १९९० के विश्व-कप में अपंग जैसा कर देना हो। इसी विश्व-कप में कुछ मैच देखते हुए मुझे लगा कि जैसे मै युद्ध होता हुआ देख रहा हूँ। इटली और यू एस ए का मैच इसका एक उदाहरण था, जिसमें तीन खिलाडियों को लाल पत्रक (रेड कार्ड) से सम्मानित किया गया। मैदान में एक खिलाडी की आंख के पास से झर झर बहता हुआ खून भी दृष्टिगोचर हुआ और कुछ हाथापाई भी। वहीं दूसरी ओर पुर्तगाल और नीदरलैण्ड का मैच इस हाथापाई की पराकाष्ठा था, जहॉ चार खिलाडियों को लाल पत्रक सम्मान प्राप्त करने का गौरव हासिल हुआ। एक अकेले इस मैच में सत्रह पीत पत्रक (येलो कार्ड) दिये गये। पुर्तगाल की टीम तो पूरे टूर्नामेण्ट में २५ पीत पत्रक (येलो कार्ड) प्राप्त कर एक अनूठे सम्मान की हकदार बनी। उनके कृत्य की महानता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दूसरे स्थान पर आई टीम उनसे बहुत बहुत पीछे रही।
कभी कभी मुझे लगता है, इन सब खिलाडियों को फुटबाल के साथ साथ "एक्टिंग" की ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे एक पल पहले दर्द से तडपता सा खिलाडी विपक्षी खेमे को पत्रक मिलते ही, या रेफरी के "कुछ नही" कहते ही तुरंत फुरत उछल कर खडा हो जाता है। आपको याद होगा मैदान पर मृतप्राय पडे मेटरज्जी रेफरी द्वारा जिदान को लाल पत्रक दिखाये जाते ही कैसे उछल कर खडे हो गये थे, और हों भी क्यों ना, उद्देश्यप्राप्ति जो हो गई थी। मुझे विश्वास है भारतीय खेल मंत्रालय बहुतेरे सरकारी मंत्रालयों की तरह सोया नही पडा है और यह बात बराबर उसके ध्यान में है कि भारतीय टीम को भी अगले विश्व-कप के क्वालीफायर मैचों के पहले किसी ऐसे भारतीय अभिनेता से प्रशिक्षण दिलाना होगा, जिन्होने फिल्मों में मरने के सर्वाधिक दृश्य किये हों, अरे भाई प्रशिक्षण भी तो दर्द से तडपने का या मृतसमान पडे रहने का देना होगा ना। अब मुझे तो किसी अभिनेता का नाम याद नही आ रहा, अमरीश पुरी तो रहे नही, आप ही बताइये ऐसे किसी अभिनेता का नाम। वैसे अभिनेता न मिले तो नेता से भी काम चल जायेगा। "एक्टिंग" का ककहरा तो वो भी पढा ही देगा।
पुनश्चः और अंग्रेजी वाले बोलते हैं जिदान ने "हेड बट्ट" कर दिया, मेरी तो समझ से बाहर की बात है, अगर हेड किया तो बट कैसे किया, अगर बट किया हेड कैसे किया, खैर आपको समझे तो बताना भाई।
4 प्रतिक्रियाएँ:
प्रेषक: अनूप शुक्ल [ Tuesday, July 11, 2006 11:07:00 PM]…
मुझे तो यही लगा कि जिदान को भड़काया गया तथा वो बेवकूफ भड़क भी गया!
प्रेषक: Anonymous [ Tuesday, July 11, 2006 11:47:00 PM]…
ऐसे प्रशिक्षण के लिये जानी लीवर सबसे बढिया प्रशिक्षक साबीत होंगे।
किरकीट होता, तो आमीर खान भी चलते। वो भारत के ईकलौते कप्तान है जिन्होने अपनी जिन्दगी के पहले मैच मे शतक लगाया था, साथ ही मैच भी जिताया बिल्कुल मियादाद की तरह आखीरी गेंद पर छक्का लगा कर
प्रेषक: Manish Kumar [ Wednesday, July 12, 2006 7:29:00 AM]…
अभी अभी एक SMS मिला है
"रहस्य का पर्दाफाश हुआ ।
Matterazzi ने Zidane से बस इतना पूछा था।
भइया हम क्लोरोमिंट क्यूँ खाते हैं ?
प्रेषक: ई-छाया [ Wednesday, July 12, 2006 12:02:00 PM]…
शुक्ला जी,
धन्यवाद। आपको जो लगता है, शायद वही सच है।
आशीष भाई,
अरे जानी लीवर का नाम मुझे पहले क्यों याद नही आया।
मनीष जी,
ये एस एम एस अनुगूंज में भेज दें।
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