Friday, June 23, 2006

हजार मारें पूरी हुईं

अरे भाई, शीर्षक देख कर चौंकें नही। मै हिट काउन्ट की बात कर रहा था। आखिरकार मेरे चिठ्ठे ने भी खरामा खरामा करके हजार का आंकडा पार किया। हो सकता है कि कुछ गिनती हमारी वजह से बढी हो, फिर भी अब आंकडे तो यही बोलते हैं, कि हो गये हजार पार। समझ में नही आता कि इस बात पर खुश होऊँ कि रोऊँ, क्योंकि समीर जी ने एक बार कहा था कि "ब्लोगिंग की दुनिया तो वो दुनिया है दोस्त, जहाँ दो चार पोस्ट तक तो लौटना संभव है, अभी भी वक्त है लौट जाओ" मैने उनकी सलाह नही मानी और मूढबुद्धि होने का पूरा परिचय देते हुए हिंदी में "कचरा पोस्टों" की सँख्या बढाने में जी जान से लगा रहा। बहुत सी कचरा पोस्टें लिख ही डालीं। अब मै कोई फुरसतिया जी तो हूँ नही कि "हम तो जबरिया लिखबै" कहते हुए भी शानदार लिखूँ और सुखद लिखूँ। जो भी मन में आता है लीक (लिख) देता हूँ। लेखनी भी सधी नही है और भाषा भी कई बार ऊटपटांग सी हो जाती है। चिठ्ठाकारी में आने से पहले कई दिनों तक मै मात्र दूसरों के चिठ्ठे पढा करता था और प्रसन्न होता था। जाने एक दिन किस रौ में आकर मैने भी एक खाता खोल ही दिया "ब्लोगर" पर, पर कई दिनों तक कुछ भी नही लिखा गया। एक दिन डरते डरते जब कुछ लिखने का दुस्साहस किया, तब अगले दिन ही मुझे कुछ प्रतिक्रियाएँ मिलीं, और उनमें मेरा पर्याप्त उत्साहवर्धन किया गया था, या ये कहें कि मै फंस चुका था। बस फिर क्या था, दनादन दूसरी पोस्ट दाग दी। तीसरी पोस्ट पर कोई प्रतिक्रिया न देखकर मै थोडा विचलित हुआ, और समीर जी ने प्रतिक्रियास्वरूप जो लेख लिखा, वो अब इतिहास है। खैर, निष्कर्ष ये निकला कि चिठ्ठाकारी की दुनिया में मै रह गया और नतीजा आपके सामने है। मैने एक दूसरा चिठ्ठा भी शुरू किया "जलते हुए मुद्दे", और वो भी ४०० का आँकडा छू चुका है। मै आप सभी के धैर्य का तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ, जिन्होने मेरी "कचरा पोस्टों" को भी पढा, पढा या न भी पढा पर हिट किया और इस तरह हजार मारें पूरी की। आगे भी इसी तरह आप सबकी मार, अरे माफ कीजियेगा प्यार मिलता रहेगा इसी उम्मीद के साथ।

13 प्रतिक्रियाएँ:

  • प्रेषक: Blogger Manish Kumar [ Friday, June 23, 2006 1:26:00 PM]…

    एक मजेदार तथ्य ये भी है कि आपके इस ब्लॉग का १००० वाँ मुसाफिर मैं ही था । ये अलग बात है कि आपने अपने ब्लॉग पर अपने इस १००० वें guest की आवाभगत नहीं की :p
    लगे रहिये १००० क्या १०००० तक पहुँच जाएँगे । All the Best !

     
  • प्रेषक: Blogger अनूप शुक्ल [ Friday, June 23, 2006 2:31:00 PM]…

    हजार का आंकड़ा छूने पर हजारों बधाइयां। कामना है हमें लाखों,करोड़ों बधाइयां देने का मौका भी मिले। हम नियमित आपके चिट्ठे पढ़ते हैं तथा अच्छा लगता है। अब हमारे लिये यह भ्रम की स्थिति है कि कोई तो कहता है (जैसे आप ही) कि हमारा चिट्ठा पढ़ना सुखद है वहीं कुछ साथियों के लिये बाउंसर के समान खतरनाक। वैसे सच यह है कि अब आप इस दुनिया में फंस तो नहीं लिखूंगा,रम चुके हैं। अब जल्दी कदम वापस नहीं लौटेंगे। आगे लिखते रहने के लिये शुभकामनायें।

     
  • प्रेषक: Blogger उन्मुक्त [ Friday, June 23, 2006 5:35:00 PM]…

    बहुत ज्लदी यह दस हजार पहुंचे

     
  • प्रेषक: Blogger Kaul [ Friday, June 23, 2006 7:10:00 PM]…

    बधाई हो। आप की अपनी गिनती इस में न जुड़े, इस के लिए आप स्टैटकाउंटर में अपने आइपी पते को ब्लॉक कर सकते हैं।

     
  • प्रेषक: Blogger Jagdish Bhatia [ Friday, June 23, 2006 8:26:00 PM]…

    बधाई, छाया जी। हर लंबी यात्रा की शुरुआत एक छोटे से कदम से ही होती है।

     
  • प्रेषक: Anonymous Anonymous [ Friday, June 23, 2006 10:41:00 PM]…

    १०१९ बधाईयां । काश हमारी छाया भी आपकी छाया के समान दिलचस्प होती ।

     
  • प्रेषक: Anonymous Anonymous [ Saturday, June 24, 2006 12:23:00 AM]…

    बधाई स्वीकर करें.

     
  • प्रेषक: Blogger Sagar Chand Nahar [ Saturday, June 24, 2006 1:41:00 AM]…

    बधाई छाय़ा जी,
    मैं आपका 1127 वां मुलाकाती हुँ और आशा करता हुँ कि जल्द ही 11270वीं टिप्पणी मेरी होगी।

     
  • प्रेषक: Blogger रवि रतलामी [ Saturday, June 24, 2006 5:08:00 AM]…

    फ़ोर फ़िगर के आंकड़े को पार करने पर बधाइयाँ. जल्द ही यह आंकड़ा प्रतिदिन के हिसाब से मिलने लगेगा.

    इसके लिए आपको एक काम नित्य करना होगा.

    बढ़िया चिट्ठा रोज लिखना होगा :)

     
  • प्रेषक: Blogger अनुनाद सिंह [ Saturday, June 24, 2006 6:41:00 AM]…

    शत्-शत्) बधाइयाँ !!

    दूसरी चीज ये कि टिप्पणियाँ बहुत उपयोगी हैं; हम अंधों को लिखने की राह दिखाती हैं|

     
  • प्रेषक: Blogger ई-छाया [ Monday, June 26, 2006 11:49:00 AM]…

    मनीष जी, धन्यवाद, आप आते रहिये, आवभगत के लिये या तो मुझे दिल्ली आना पडेगा या आपको यू एस ए। तो बताइये कब आ रहे हैं आप?
    अनूप जी, हमारा सौभाग्य कि आप हमें पढते हैं, मुझे आपके चिठ्ठे हमेशा ही जलती तपती दुपहरी में ठंडी हवा के झोंके जैसे लगते हैं।
    उन्मुक्त जी, धन्यवाद, मै भी ये कामना करूंगा।
    रमण जी, दोहरा धन्यवाद, बधाई देने तथा पते की बात बताने का।
    जगदीश जी, धन्यवाद, बिल्कुल सच कहा आपने।
    सागर जी, धन्यवाद, आपके मुँह में घी शक्कर जी।
    रवि जी, धन्यवाद, कडी शर्त है, कोशिश रहेगी।
    अनुनाद जी, शत् शत् धन्यवाद, टिप्पणियाँ चिठ्ठाकारों की संजीवनी है, भाई।

     
  • प्रेषक: Blogger ई-छाया [ Monday, June 26, 2006 11:50:00 AM]…

    This comment has been removed by a blog administrator.

     
  • प्रेषक: Blogger ई-छाया [ Monday, June 26, 2006 11:53:00 AM]…

    रत्ना जी, १०१९ धन्यवाद जी, आपकी छाया हमारे समान नही, हमसे बहुत बेहतर दिलचस्प है जी।
    संजय भाई, धन्यवाद।

     

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