Friday, June 09, 2006

क्या आप बता सकते हैं?

सावधान।
कमजोर दिल वाले न पढें।

चाँदनी रात है
चारों ओर सन्नाटा
कुछ अजीब सी आवाजें
देखता हूँ इधर उधर
उठाकर सर को जब
छाई है खामोशी
कोई नही है दूर दूर तक
लाल रंग की मिट्टी पर
कब्रें ही कब्रें हैं बस
भयावह आहटें
डरावनी आकृतियाँ
चलती है हवायें
सरसराती हुई सी
चाहता हूँ चीखना मै
जोर से गला फाडकर
कुछ फँस गया है गले में
भागने की कोशिश में
जब उठाता हूँ पाँव
निकलते हैं कई हाथ
जमीन के अंदर से
रोकने के लिये मुझे
दूर दूर तक बस
कब्रें हैं और हाथ हैं
और है भयानक बेबसी
क्या करूँ क्या नही
इतने में कहीं दूर से
आती है इक आवाज
जानी पहचानी सी
तेज होती हुई
छुट्टी है क्या आज
उठना नही है क्या?
खोलता हूँ आँखें मै
उफ, क्या भयानक
स्वप्न था ये
पर अगर ये स्वप्न था
तो कहाँ से आई ये
लाल मिट्टी मेरे पैरों में
क्या वो हकीकत थी?
क्या आप बता सकते हैं?

4 प्रतिक्रियाएँ:

  • प्रेषक: Blogger अनूप शुक्ल [ Friday, June 09, 2006 6:07:00 PM]…

    1.इसका मतलब है कि अभी सपने में ही हैं।
    2.कुछ फँस गया है गले में
    विक्स की गोली लें खिचखिच दूर करें।

     
  • प्रेषक: Anonymous Anonymous [ Saturday, June 10, 2006 7:30:00 AM]…

    क्यों डरा रहे हो छाया जी?

     
  • प्रेषक: Anonymous Anonymous [ Sunday, June 11, 2006 3:07:00 AM]…

    मन का भ्रम इसे ही कहते हैं.

     
  • प्रेषक: Blogger ई-छाया [ Monday, June 12, 2006 3:31:00 PM]…

    अनूप जी, जगदीश भाई एवं संजय जी,
    मन का भ्रम है या नींद का खुमार है, या शायद कुछ और
    बहरहाल पढने के लिये धन्यवाद

     

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