मै एक छाया हूँ एक परछाईं, एक प्रतिबिम्ब मात्र और परछाईं की कोई पहचान नही होती। परछाई के साथ कोई पहचानपत्रक जुडा नही होता। परछाईं घटती है बढती है, गायब भी हो जाती है। बस ऐसी ही एक छाया।
posted by ई-छाया at Friday, April 28, 2006
प्रेषक: मिर्ची सेठ [ Thursday, May 04, 2006 10:01:00 PM]…
भाई कोनो शहिर है ए।
प्रेषक: ई-छाया [ Friday, May 05, 2006 8:39:00 PM]…
पहचानिये सरकार, यही तो पहचानना है।
प्रेषक: Sunil Deepak [ Monday, May 08, 2006 10:41:00 PM]…
ई-छाया जी, आप की तारीफ के लिए धन्यवाद. तस्वीरें तो आप की बहुत सुंदर हैं.सुनील
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एक भारतीय, यायावर, दिल है वही खालिस हिन्दुस्तानी, बस कुछ लिखने की चाह ले आई ब्लोगिंग की ओर।
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3 प्रतिक्रियाएँ:
प्रेषक: मिर्ची सेठ [ Thursday, May 04, 2006 10:01:00 PM]…
भाई कोनो शहिर है ए।
प्रेषक: ई-छाया [ Friday, May 05, 2006 8:39:00 PM]…
पहचानिये सरकार, यही तो पहचानना है।
प्रेषक: Sunil Deepak [ Monday, May 08, 2006 10:41:00 PM]…
ई-छाया जी, आप की तारीफ के लिए धन्यवाद. तस्वीरें तो आप की बहुत सुंदर हैं.
सुनील
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