फुटबॉल पर एक नज़र (भाग 2)
तो अघट घट ही गया। (अन)होनी हो ही गई। इतिहास रच डाला गया। हजारों आँखें आँसुओं से डूब गईं। कितने दिल टूट गये। लोगों को आँखों पर विश्वास नही हुआ। जी हाँ, मै विश्व-कप में ब्राजील के हारने की बात कर रहा हूँ। पूरी दुनिया में करोडों-अरबों की पसंदीदा टीम आखिर हार गई। ब्राजील ने अपने प्रदर्शन से अपने चाहने वालों को निराश किया। विश्व के बेहतरीन सितारों से जडी टीम सेमी-फाइनल तक नही पँहुच सकी। १९९४ के विश्व-कप के बाद ब्राजील की टीम केवल दूसरा मैच हारी, और दोनों फ्रांस के खिलाफ। पहला मैच था १९९८ विश्व-कप का फाइनल, जब आठ साल पहले जिनेदिन जिदान पूरी दुनिया पर छा गये थे। जिदान ने एक बार फिर से वही करिश्मा कर दिखाया। अगर फ्रांस हारता तो जिदान का यह आखिरी मैच होता।
फीफा विश्व-कप का यह शायद पहला ऐसा विश्व-कप है, जिसमें दक्षिण अमेरिका का सेमी-फाइनल के पहले ही पूरी तरह पत्ता साफ हो चुका है। सेमी-फाइनल में पँहुचने वाली चारों टीमें यूरोपियन हैं। पूरी दुनिया की निगाहें अब इस महासंग्राम के आखिरी कुछ मैचों पर टिकी रहेंगी। अब कुछ भी अंदाजा लगाना गैर-जिम्मेदाराना होगा, क्योंकि इस स्तर पर कुछ भी संभव है। कौन होगा इस बार का विजेता, ये सवाल अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है। आइये इंतजार करें, और देखें ये होगा कौन इटली (मैडम की टीम), पुर्तगाल (नीरज भाई के अनुसार गोवानियों की टीम), फ्रांस या मेजबान जर्मनी। मैने ने तो निश्चय किया है, कि मै जो भी अच्छा खेलेगा, उसका आनन्द उठाउंगा। तो बोलिये इस महायज्ञ की आने वाली समाप्ति पर "स्वाहा"।
फीफा विश्व-कप का यह शायद पहला ऐसा विश्व-कप है, जिसमें दक्षिण अमेरिका का सेमी-फाइनल के पहले ही पूरी तरह पत्ता साफ हो चुका है। सेमी-फाइनल में पँहुचने वाली चारों टीमें यूरोपियन हैं। पूरी दुनिया की निगाहें अब इस महासंग्राम के आखिरी कुछ मैचों पर टिकी रहेंगी। अब कुछ भी अंदाजा लगाना गैर-जिम्मेदाराना होगा, क्योंकि इस स्तर पर कुछ भी संभव है। कौन होगा इस बार का विजेता, ये सवाल अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है। आइये इंतजार करें, और देखें ये होगा कौन इटली (मैडम की टीम), पुर्तगाल (नीरज भाई के अनुसार गोवानियों की टीम), फ्रांस या मेजबान जर्मनी। मैने ने तो निश्चय किया है, कि मै जो भी अच्छा खेलेगा, उसका आनन्द उठाउंगा। तो बोलिये इस महायज्ञ की आने वाली समाप्ति पर "स्वाहा"।
5 प्रतिक्रियाएँ:
प्रेषक: अनूप शुक्ल [ Monday, July 03, 2006 11:40:00 PM]…
स्वाहा!
प्रेषक: Manish Kumar [ Monday, July 03, 2006 11:44:00 PM]…
अच्छा खेलने के बाद भी कोई हारे तो मायूसी होती है। पर ब्राजील तो अपनी लय में जापान जैसी अपेक्षाकृत कमजोर टीम के आलावा कभी आ ही नहीं पाई। मैं तो यही आशा करुँगा कि जो टीम अच्छा खेल दिखाये वो ही विजयी बने ।
प्रेषक: नीरज दीवान [ Tuesday, July 04, 2006 2:58:00 AM]…
अपन उसी गुरू के चेले हैं जो अफ़ीम ढूंढते फिरते हैं. अब चाहे जो फ़ाइनल पहुंचे. एक टीम तो अपनी होगी. मनीष भैया की पुर्तगाल पर दांव लगाना बुरा नहीं है.
प्रेषक: Anonymous [ Wednesday, July 05, 2006 10:46:00 AM]…
आपने बहुत अच्छे अन्दाज़ मे फुटबाल वर्लड कप पर लिखा है बाकी दूसरी बातों का मेरे पास जवाब नहीं
प्रेषक: ई-छाया [ Wednesday, July 05, 2006 11:45:00 AM]…
फुरसतिया जी, मनीष जी, नीरज भाई एवं शोएब भाई,
बहुत बहुत धन्यवाद, बस अब तो १०० घण्टों का वक्त रह गया है अनुष्ठान सम्पन्न होने में।
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